ताल सूखने को बीते साल जबसे गाँव में पड़ा अकाल ताल सूखने को बीते साल जबसे गाँव में पड़ा अकाल
मनुष्यों का मनुष्यों के लिए अत्याचार को देखकर मुझे बहुत दुःख होता है। मनुष्यों का मनुष्यों के लिए अत्याचार को देखकर मुझे बहुत दुःख होता है।
कच्चे-पक्के, मीठे पेड़ों को देकर जीवन बढ़ी, चली आगे बढ़ी चुपचाप, चुपचाप, चुपचाप। कच्चे-पक्के, मीठे पेड़ों को देकर जीवन बढ़ी, चली आगे बढ़ी चुपचाप, चुपचाप, चुपचाप...
करते हो जीवन छिन्न-भिन्न काल बस तुम काल हो। करते हो जीवन छिन्न-भिन्न काल बस तुम काल हो।
वक्त के अंधड़ ने, अजब कहर ढहाया है। वक्त के अंधड़ ने, अजब कहर ढहाया है।
शपथ लेते हैं जंगल- पहाड़ को बचायेंगे पेड़ लगाएंगे। शपथ लेते हैं जंगल- पहाड़ को बचायेंगे पेड़ लगाएंगे।