खतरे में प्रकृति
खतरे में प्रकृति
मानव हो
या जन्तु - जानवर
ऊँची पेड़ हो
या छोटी पेड़
जीवन की जड़ है
प्रकृति
पीने का पानी हो
या खाना
रंग- बिरंगे कपड़े हो
या पक्का घर
देनेवाला
प्रकृति ही
जंगल- पहाड़ का क्षेत्रफल
घट रहा है
अब लगती है
बहुत तेज़ धूप
सड़क पर गाड़ी - मोटरों की
बेतहासा आवागमन के चलते
स्मार्ट कोगों के लिए
स्मार्ट सिटी बनने के कारण
बढ़ रही है प्रदुषण
कल- कारखाने बनने के कारण
प्रकृति सिंकुड़ रही है
इसीलिए तो आजकल
कभी अति तेज़ वर्षा होती है
कभी तो कुछ भी नहीं
कभी बहुत ज्यादा ठण्ड लगती है
और कभी पसीने से तरबतर
कहीं भुकंप से
कहीं अकाल से
कहीं सुनामी से,
कहीं हुदहुद से
लोग मर रहे है
मनुष्यों का जीवन अब
खतरे में है .
चलो, चलो न भाई
शपथ लेते हैं
जंगल- पहाड़ को बचायेंगे
पेड़ लगाएंगे।