ख्वाहिशें नमन
ख्वाहिशें नमन


तेरे खून को मेहंदी बनाकर
हाथों में रचाने की ख्वाहिशें है ,
जली हुई चिंताओं की राख को
मांग में सजाने की ख्वाहिशें है
मेरी तो ख़ुशियों की सजी महफ़िल
है तेरी मातम की गलियाँ ,
तेरे हमदर्दो के अश्कों को
मयखाने में मिलाने की ख्वाहिशें है
खुद को किसी और के जोड़े
में सजाएगी बसर ,
हमको कफनो की वफ़ाओं में
सजाने की ख्वाहिशें है
वो जो ख़्वाबों में भी नफरत
को बस आबाद किये,
आज घर से मेरे जनाजे
को उठाने की ख्वाहिशें है
जिनको आना था कभी बन के
मेरी यादें दुल्हन ,
आज उनको भी मेरे कब्रों
पे आने की ख्वाहिशें है
जिनको शायद न भूल पाऊं
मैं मर कर भी शिवम् ,
उनको अपने दिलो से मेरी यादों
को मिटाने की ख्वाहिशें है
कितनी ख़ुदग़र्ज़ बेरहम है
बेवफ़ा नकहत
मेरे मरने पर भी उन्हें
आजमाने की ख्वाहिशें है !!!