प्रेम
प्रेम
प्रेम का कोई पैमाना नहीं होता
प्रेम की कोई सरहदें नहीं होती
प्रेम दिव्य और मासूम होता है
प्रेम समर्पण में समाया होता है।
प्रेम पूजा की थाली है, प्रेम वात्सल्य की मस्ती है
प्रेम सुख:द एहसास है, प्रेम अपार आनंद है ।
प्रेम में भक्ति होती है प्रेम में शक्ति होती है
स्व को स्व से एकाकार करने की जिद होती है।
पावन है जो अंदर से, प्रेम वही कर पाता है
कोमल है जो अपने मन से, प्रेम वही कर पाता है।
प्रेम निर्मल भावों से, अखंड ज्योत जलाता है।
प्रेम के उपवन में मन सुमन बन जाता है।
