"आजादी "
"आजादी "


स्वतंत्र हो गए हम 1947 में कहने को,
फिर भी बाकी अभी रही सही मायने की आजादी है।
आजादी बाकी है ऊँच-नीच से तो कभी नीच-ऊँच से,
हाँ, चाहिए स्वतंत्रता भ्रष्ट्राचारी से,
तो कहीं स्वतंत्रता अकेली स्त्री की जूझती लाचारी से।
बाकी है आजादी सत्य बोलने की,
तो कहीं स्वतंत्रता बराबर आवाज उठा पाने की।
पायी जो शहीदों के बलिदान से स्वतंत्रता...
उसे अभी बचाना बाकी है।
हाँ, देश को बचाना है...
कभी मक्कारी से तो कभी बेईमानी से,
तो कहीं छल-कपट के रंगीन खेल से।
होगा जब संपूर्ण यह स्वप्न, हृदय तल से स्वतन्त्रता दिवस मनाएंगे।
आँगन में दो दीप ज्यादा उस दिन जगमगायेंगे।