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Vijay Kumar parashar "साखी"

Classics

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Classics

फिर से सोने की चिड़िया

फिर से सोने की चिड़िया

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गगन में लहरा रहा आज तिरंगा प्यारा

आकाश में गूंज रहा जय हिंद का नारा

आपको मुबारक हो आजादी का तारा

इसी दिन उदय हुआ नव सूरज हमारा


पर ये बात मत भूल जाना हिंद के यारा

यूँ ही नहीं मिल गया हमको ये किनारा

लाखों कुर्बानियों के बाद मिला ये तारा

क़द्र करो इसकी ये कोहिनूर है हमारा


कुछ भी करो, वतन से सदा मोहब्ब्त करो

इसने ही दिया है हमको जीने का सहारा

जब तक है साखी तेरे इस जिस्म में दम

तब तक करना भारत मां की रक्षा यारा


ये तिरंगे के तीन रंग, रखना सदा तू संग,

देश की उन्नति से खिलेगा जीवन हमारा

ये तिरंगा सदा गगन में यूँ ही लहराता रहे,

इसके लिये मिटाना होगा गंदगी का चारा


ये देश फिर से सोने की चिड़िया होगा,

इसके लिये आत्मनिर्भर बनना होगा,

सबके प्रयास से वो दिन दूर न होगा,

जब भारत बनेगा फिर से स्वर्ण-तारा।


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