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Amit Kori

Abstract

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Amit Kori

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पुरुषार्थ

पुरुषार्थ

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न कहकर अंधी सी बाँतें,

जीवन का वह लक्ष्य बताता,


छोड़ - छाड़कर दुनियादारी,

आगे बढ़कर राह दिखाता,


भर पाता जो नींव शब्द की,

वही असली पुरुषार्थ कहलाता, 


तेरा - मेरा इसका - उसका, 

यही सभी के जीवन का क़िस्सा, 


उठ कर के ऊपर जो आता, 

आज में रहकर जी जो पाता, 


हराम नहीं वो कर्म की खाता, 

वही असली पुरुषार्थ कहलाता, 


कर्मभूमी की ज़िम्मेदारी, 

सोच - समझकर हर तैयारी, 


सादा जीवन उच्च विचार, 

हर मुश्किल का निश्चित समाधान, 


ख़ुद पर जो निर्भर रह पाता, 

वही असली पुरुषार्थ कहलाता।


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