STORYMIRROR

Krishna Bansal

Abstract Classics Inspirational

4  

Krishna Bansal

Abstract Classics Inspirational

दिव्यता

दिव्यता

1 min
42

प्रिय आत्मन्

अगर आप में 

इच्छा जाग्रत हुई है 

दिव्यता की

आपको केवल इतना करना है 


स्वयं को सच्चा बनाना है 

पवित्र बनाना है 

और हल्का बनाना है 

हर प्रकार के बोझ से

संघर्ष, दुविधा, उलझन 

सभी नकारात्मकता से।

 

शेष,

दिव्यता पर छोड़ दीजिए 

आप दिव्यता के पीछे 

जितना भागेंगे 

वह आप की पकड़ में

नहीं आने वाली। 


दिव्यता रहस्यमयी है 

कब और कहां 

यह आशीर्वाद आप पर

बरस जाए कोई नहीं जानता। 


आप केवल अपना दिल और

दिमाग खुला रखें 

एक उपजाऊ क्षेत्र बना कर।

 

धर्म के नाम पर 

अनेक क्रियाकलापों से

अंधविश्वासों से 

पाखण्डों से न तो दिव्या आती है 

न ही इसका रास्ता साफ होता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract