दिव्यता
दिव्यता
प्रिय आत्मन्
अगर आप में
इच्छा जाग्रत हुई है
दिव्यता की
आपको केवल इतना करना है
स्वयं को सच्चा बनाना है
पवित्र बनाना है
और हल्का बनाना है
हर प्रकार के बोझ से
संघर्ष, दुविधा, उलझन
सभी नकारात्मकता से।
शेष,
दिव्यता पर छोड़ दीजिए
आप दिव्यता के पीछे
जितना भागेंगे
वह आप की पकड़ में
नहीं आने वाली।
दिव्यता रहस्यमयी है
कब और कहां
यह आशीर्वाद आप पर
बरस जाए कोई नहीं जानता।
आप केवल अपना दिल और
दिमाग खुला रखें
एक उपजाऊ क्षेत्र बना कर।
धर्म के नाम पर
अनेक क्रियाकलापों से
अंधविश्वासों से
पाखण्डों से न तो दिव्या आती है
न ही इसका रास्ता साफ होता है।