नींद से जागी उमर को पकड़े बाढ़ बनकर किताबों में रिस रही है। नींद से जागी उमर को पकड़े बाढ़ बनकर किताबों में रिस रही है।
किसानो की ख़ुशी है ये बारिश। रेगिस्तान की प्यास है ये बारिश। क्या है इस बारिश में समझ नहीं आ... किसानो की ख़ुशी है ये बारिश। रेगिस्तान की प्यास है ये बारिश। क्या है इस बार...
नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है
तब स्मृतियों की दरारों में उग आती है कविताएं तब स्मृतियों की दरारों में उग आती है कविताएं
हम रह गए, वो कह गए बाढ़ ऐसी आयी, के सब बह गए हम रह गए, वो कह गए बाढ़ ऐसी आयी, के सब बह गए
बेशर्मी के साथ खड़ा नँगा दरवाजा मेरे अभावों का उड़ाता है मज़ाक बेशर्मी के साथ खड़ा नँगा दरवाजा मेरे अभावों का उड़ाता है मज़ाक