आंखें तुम्हारी बोल रही हैं, एक अजब सी बोली। आंखें तुम्हारी बोल रही हैं, एक अजब सी बोली।
तब स्मृतियों की दरारों में उग आती है कविताएं तब स्मृतियों की दरारों में उग आती है कविताएं
जय माता दी करता जाऊँगा, माँ, मैं न घबराऊंगा जय माता दी करता जाऊँगा, माँ, मैं न घबराऊंगा
कभी कभी तो छातों से घर बना उसी के नीचे सो जाने की ज़िद्द थे करते कभी कभी तो छातों से घर बना उसी के नीचे सो जाने की ज़िद्द थे करते
वन उपवन में महकते फूलों पर छाया वो बसंत हो तुम, वन उपवन में महकते फूलों पर छाया वो बसंत हो तुम,
हमें बिन कोई तरस बड़े सरस से होली है, रंग बरसे, रंग बरसे हमें बिन कोई तरस बड़े सरस से होली है, रंग बरसे, रंग बरसे