सवारूँ में खुद को रोज़ नए लिबास में वो सँवर कर निकले रोज़ नए लिहाफ़ में। सवारूँ में खुद को रोज़ नए लिबास में वो सँवर कर निकले रोज़ नए लिहाफ़ में।
तुम उन सबको सहेज लेती हो क्योंकि तुम्हारी अपनी खिड़की के आठों काँच सुरक्षित हैं तुम उन सबको सहेज लेती हो क्योंकि तुम्हारी अपनी खिड़की के आठों काँच सुरक्षित है...
कैसे बंट सकता है संसार छोटे-छोटे संकीर्ण परिवेश में। कैसे बंट सकता है संसार छोटे-छोटे संकीर्ण परिवेश में।
नेह के दाने तलाशती उदास फुदकती। नेह के दाने तलाशती उदास फुदकती।
अब हमारे घर की मुंडेर पर गौरैया नहीं आती, ये टीस हमें सालती है। अब हमारे घर की मुंडेर पर गौरैया नहीं आती, ये टीस हमें सालती है।
होते ही रात घिर आया है, यह तो मुंडेर का साया है। होते ही रात घिर आया है, यह तो मुंडेर का साया है।