मुंडेर का साया
मुंडेर का साया
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होते ही रात घिर आया है,
यह तो मुंडेर का साया है।
जब जब चलती है तेज हवा,
सबने ही धोखा खाया है।
जब भी घर के बाहर बैठो,
एकदम से वह आता है।
जैसे ही सब छुप जाते हैं,
वो भी गायब हो जाता है।।
जलती है लट्टे की बत्ती,
वह झट से आता है।
गौर से ना देखो तुम उसको,
काका सबको समझाता है।।
जब रात हुई तब आया है,
मुंडेर का हिलता साया है।
लगता है वो भी बोल रहा,
यहाँ बहुत मजा उसे आया है।
