प्यार हो तुम
प्यार हो तुम
प्यार का बहता स्वरूप झरनों की मीठी प्यास हो तुम,
अनमोल और अनूठा सा बंधन हमारा विश्वास हो तुम,
दिल में वो जगह आज भी खाली है बस तुम्हारे लिए,
इस सूने से मन में प्रिय मेरे जीवन का एहसास हो तुम,
तुम्हारी आहट से सूने उपवन में भी फूल खिल जाते हैं,
वन उपवन में महकते फूलों पर छाया वो बसंत हो तुम,
मंद- मंद बहती हवा तुम्हारे आने का एहसास दिलाती है,
अरुण किरण की चमकती लौ-सी उज्ज्वल भोर हो तुम,
स्वप्न पलकों पर धरकर जब -जब याद तुम यूँ आते हो,
खुली नैनों से तुम्हें जब निहारता धीमे से मुस्काते हो तुम,
अपने मूक नयनों से जब भी तुम हमें यूँ इशारे करती हो,
नयनों के गुलशन से प्यार का नेह हम पर बरसाती हो तुमI