नींद से जागी उमर को पकड़े बाढ़ बनकर किताबों में रिस रही है। नींद से जागी उमर को पकड़े बाढ़ बनकर किताबों में रिस रही है।
पल जो बिताये साथ में वो अभी तक ज़हन में जिंदा है उड़ना चाहता है उड़ नहीं पाता पल जो बिताये साथ में वो अभी तक ज़हन में जिंदा है उड़ना चाहता है उड़ नहीं पाता
रुमाल बनाते जो कतरन बचते थे कभी हर लिबास को फिर से संजोना सीखा दे रुमाल बनाते जो कतरन बचते थे कभी हर लिबास को फिर से संजोना सीखा दे