ए ज़िन्दगी
ए ज़िन्दगी
ए ज़िन्दगी तू मुझे फिर जीना सिखा दे
कुछ पुराना हो जाय तो फेंक देता हूं
हर बार नया सामान खरीद लेता हूं
तू मुझे वो फटी चादरें सीना सीखा दे
ए ज़िन्दगी.....
लिबास अपनों के वास्ते रखते थे सभी
रुमाल बनाते जो कतरन बचते थे कभी
हर लिबास को फिर से संजोना सीखा दे
ए ज़िन्दगी .....
खिलौना पुराना कभी होता नहीं था
उम्र बढ़ती उसकी दूजे को दे हमेशा
तू मुझे वहीं पुराना करीना सीखा दे
ए ज़िन्दगी .....