वो मेरे शहर के आस पास रहता है
वो मेरे शहर के आस पास रहता है
सुना है वो मेरे शहर के आस पास रहता है
पहन सुर्ख मख़मल के लिबास रहता है
देखा जो उस दिन दीवाने खास में उसे
आंखो में लिए समन्दर बेहिसाब रहता है
डूबने को उन निगाहों में बेचैन इस कदर
हर वक्त उस महबूब का इंतज़ार रहता है
हर सांस पढ़ रहीं अब कलामे इश्क़ उसका
हर धड़कन पे उस का इख्तियार रहता है
हर रोज उसके चाहत में ढलता हूं मैं कुछ यूँ
सुबह रौशन का ना अब तो इंतज़ार रहता है
उम्मीद उसको पाने की बढ़ती मेरी हर रोज
इस चाहत में दिल हर वक्त बेकरार रहता है!

