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poonam maurya

Tragedy

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poonam maurya

Tragedy

कहां गईं

कहां गईं

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जिनसे मेरे दिल का सावन लहलहाए

ना जाने वो महकती बहारें कहां गईं

सबने दिल से आबाद होने की दी दुआ 

ना जाने वो दिलों की दुआएं कहां गईं


मिलनी चाहिए थी जो खुशियां मुझे 

कहीं वो सारी जैसे रस्ते भटक गईं

चिराग़ तो रोज जलाएं हैं मैने राहों में

जैसे उनकी रौशनी में कोई कमी रह गईं


हर रोज सजदे में उसके ईमान मेरा है

लगता अभी तक उसने मेरी सुनी ही नहीं

कोशिशें मेरी जारी है बहलाने की मन को

तेरी मेहनत में अभी भी थोड़ी कसर रह गईं


फिर से उसी हौसले और उम्मीद को बांधे 

एक नए सफर की जो शुरुआत कर गई

नाजाने कहां चल दिया ये शब्दों कारवां मेरा 

मैं बिना सोचे इस डगर पे कैसे चल गई


हो अमावस या फिर रात हो वो पूनम की

हर वक्त को काफियों में मै यूं कैद कर गई

ये जो लम्हे गुज़र रहें हैं ज़िन्दगी के अब मेरे

जैसे फिर एक बार मैं खुद से दोस्ती कर गई!



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