मेरा वजूद
मेरा वजूद
मेरी तकदीर का फैसला तुम लिख पाओ
तुम्हारी कलम में इतनी ताकत नहीं
है यकीन हुनर पे अपने कुछ ऐसे
मुझे तुम्हारी मिल्कियत की जरूरत नहीं
ये कायनात खुद करेगी फैसला तेरा मेरा
मुझे तुझसे यूं लड़ने की जरूरत नहीं
ये खाक्सार अपनी जगह जानती है अच्छे से
तुम्हे जगह मेरी दिखाने की जरूरत नहीं
ये तुम्हारी गीदड़ भभकियां गरजते बादल सी
जिनकी बरसने की कोई उम्मीद ही नहीं
मेरी ज़िन्दगी मेरे अपने उसूलों की है देखो
मैं इंसा हूं मेहनतकश कोई तुम्हारी जागीर तो नहीं
ये इल्जाम तुम्हारे सिरे से ख़ारिज करती हूं
के गलतियां अपनी तुमसे जानने की जरूरत नहीं
तुम इतना ना इतराओ अपने आप पे ज्यादा
आदमी तुम मामूली हो कहीं के तुर्रम खान तो नहीं
मेरा गुनाह बस इतना की मैं एक औरत हूं
पिंजरे में कैद क्यूं करते हो मैं जानवर नहीं
उसके दरबार में ये तहरीरें पेश होंगी जब
वहां मर्द और औरत की अलग कतार तो नहीं!
