STORYMIRROR

Khalida Shaikh

Romance

4  

Khalida Shaikh

Romance

यादें

यादें

1 min
276

सोचती हूं दिल की अलमारी से 

तुम्हारी पुरानी यादों को निकाल दूं 

और अलग से कहीं संभाल कर रख दूं

तो शायद नई यादों को 

दिल में जगह मिल जाए

पर पुरानी यादों को मैं 

निकाल भी ना सकूंगी

वो ही तो तुम तक पहुंचने का जरिया है

ना तुम दस्तक देतें 

ना हाथ बढाने को कहते

तोना तुम्हारी यादें द बनती

उन्ही सें तो हैं आज ईतना निखार

जरुरी ही नहीं अब

मुझे करना पडे सिंगार

हवाओं में भी उनकी भीनी भीनी खुशबू

दमकती रहती है. 

तुम मिलोगे या नहीं मैं नहीं जानती

पर जब भी कुछ लिखने को

 मन करता हैं तो

सवाल मन में जरुर उठता हैं कि

क्या लिखुंगी जो तुम तक पहुंच जाए

जवाब कुछ नहीं मिलता

बैचेनी सी होती है

शमा भी रातभर जलकर बुझ जाती है

और मैं खुद को समेटते बैठी रहती हूं

तुम्हारी पुरानी यादों के सहारे।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance