मुझे पता ये है नहीं
मुझे पता ये है नहीं
मुझे पता ये है नहीं,
क्या बात है ये सही,
में उसको चाहता तो हूँ
मगर बताता नहीं।
मुझे पता ये है नहीं,
वो आए सामने तो मैं
बोल पाता नहीं,
वो मुड़ के देखे मुझे
मैं मुसकुरता नहीं।
वो समझे भी तो कैसे समझे
मैं भी जताता नहीं।
मुझे पता ये है नहीं,
गली से उसके गुजरूँ मैं
वो छत पे दिख ही जाती है,
जरा नज़र उठाई तो
ये नज़रें मिल ही जाती है।
कि डर है पढ़ ले न कहीं
वहीं जो में छुपाता हूँ।
मुझे पता ये है नहीं,
सोचता हूँ मिल के आज
बात कह दूँ सभी,
बात है जो राज़ की
जिसे हैं जानते सभी।
मगर ये सोचता हूँ मैं
क्या बात है ये सही
मुझे पता ये है नहीं।