रूह
रूह
सुना था रूह फिरती है इंसा की, उसके मर जाने के बाद
देखे है कई जिस्म फिरते, रूह के मर जाने के बाद
तुझसे मरासिम है मेरा, में तुझको जानता तो हूं
आयेगा तू मुझसे मिलने, मेरे मर जाने के बाद
आज मुझको दे दो ताने, कह दो जो मन आए मुझे
तारीफे मेरी करोगे, मेरे मर जाने के बाद
क्या बुरा और क्या भला, जब चाह अंदर मर गई
जन्नते दोज़ख है इक सी, तेरे मर जाने के बाद
कौन था वो क्या कहा था, अच्छा ही लिखता था वो
ये कहोगे फिर तुम सबसे, मेरे मर जाने के बाद

