कहने वाले
कहने वाले
रोज़ मिलते है यहां मुझको अपना कहने वाले
झूठ को सच और सच को झूठ कहने वाले
मत करना यकीं इनकी बातों का कभी
सियासतदार है ये होते है बस कहने वाले
मेरे पास जो बैठ जाता तू दो पल के लिए
ख़ामोश हों जाते तुझे बेवफा कहने वाले
मेरी फितरत है मै गलत को गलत बोलुगा
मुझसे नाराज़ फिर क्यों न हो मेरे चाहने वाले
तेरा मिलना मेरे लिए ख्वाब - ए - जन्नत है
हकीकत जानते है कहाँ ये सब कहने वाले।

