समझता है
समझता है
चाहत है पर चाह नहीं, दिल मेरा फर्क समझता है
चांद चकोर के रिश्ते का, मतलब मेरा दिल समझता है
ये माना मैं दूर सही, पर दिल तो वही धड़कता है
आंखें करूं बंद तो तुम हो, क्या तुमको भी ऐसा लगता है
तुमको चाहने वालों की कमी कभी न रहती है
ऐसे में मेरे जैसे का न होना कभी अखरता है
देखो न मिलने आए मुझसे दोस्त सभी जो मेरे है
तुम मिलके पहले चली गई, ये झूठ ही कहना पड़ता है
खुश होने और दखिने में बस फर्क आंखों में दिखता है
तुम झूठ भले कह दो मुझसे, दिल मेरा सब समझता है