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Rahul Molasi

Tragedy Others

4  

Rahul Molasi

Tragedy Others

जज्बात

जज्बात

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ग़म~ए~हिज्र को लफ्जो में सजाया होगा

ये शेर उसने मुझ पर ही सुनाया होगा


बज़्म से जब मुकर्रर का शोर आया होगा

याद कर के मुझे दिल उसका भर आया होगा


न चाह कर भी उनसे फिर से सुनाया होगा

आंखो में उसकी मेरा अक्स उतर आया होगा


छुपाने को मुझे काजल गहरा सा लगाया होगा

सुरते~ए~हाल, नकाबे~ए~हंसी में छुपाया होगा


फिर से उसने............

ग़म~ए~हिज्र को लफ्जो में सजाया होगा

एक और शेर मुझ पर सुनाया होगा


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