उसकी सांसों से
उसकी सांसों से
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उसकी सांसों से फूलों की महक आती है
नशा बन के बो मेरे दिल पे छा जाती है
छूप जाते है सारे चाँद सितारे आसमान के
बन संबर कर जब वो घर से आती है।
रौनक नही है कोई अब मयखानो में
सारा शहर है अब उसके दीवानों में
उसके आने से होती है महफिलें जबान
उसके के जाते ही ख़ामोशी छा जाती है।
हंस हंस कर जब बो बात करते हैं
जाने कितने दीवाने आहें भरते हैं
जब वो देखते हैं नजरें झुका कर मुझे
सच कहता हूँ मेरी जान पे बन आती है।
देखी है जब से झील से गहरी आँखें
तब से नशीली हो हो गई है मेरी रातें
छाया है कैसा जादू यह उसके हुस्न का
हवा भी गीत उनके ही गुनगुनाती है।
इक ही नजर में जाने क्या हो गया
दिल यह मेरा दीवाना उनका हो गया
उनको ना देखूं तो चैन मिलता ही नहीं
देख लूं तो मदहोशी सी छा जाती है।