वो लड़की बहुत याद आती है !
वो लड़की बहुत याद आती है !
बेवक़्त ज़ब ये हवा बहती हैं,
बेवक़्त जिसका कोई वक़्त ही ना हो
औऱ घटा छा जाती है।
रात का अंधेरा सा लगता है
बिजली कड़कती है,
दिल की धड़कन बढ़ जाती हैं
ऐसे आलम में,
कुछ समझ ही नहीं आता औऱ
वो लड़की बहुत याद आती है !
रात को बिस्तर पे,
बेचैनी, घुटन सी महसूस होती है,
अकेले नींद भी नहीं आती है
उसकी तस्वीर आँखों को,
बहुत जलाती हैं।
हवा अपनी मदहोशी में,
ज़ब दुपट्टा उड़ा जाती है
ऐसे आलम में,
वो लड़की बहुत याद आती है !
ख़ामोशी में भी एक आवाज़,
सुनाई दे जाती हैं
हर जगह कहीं ना कहीं,
वो दिखाई दे जाती है।
दर्द-ऐ-दिल को
उसकी एक झलक,
दवाई दे जाती हैं
ऐसे आलम में,
वो लड़की बहुत याद आती हैं।