आशिक़ी
आशिक़ी
आगोश में आते ही,
गम कोसों दूर हुए !
तारें ज़मीं पर दिखने लगे,
हम ऐसे मदहोश हुए !
मदहोशी का यह आलम है,
बिन पिये नशे में चूर हुए !
ज़ुल्फ़ जो लहरायी,
वही घटा घनघोर हुई !
साकी, न जाम, न मयखाना,
शरबती आँखों से ही,
नशे में चूर हुए !
अधरों ने अधरों से,
जाम ऐसे पिए,
मय से कोसों दूर हुए !
बद थे, बदनाम थे ज़माने में,
क़िस्साये, आशिक़ी अब मशहूर हुए !
साँसों ने साँसों को छुआ ऐसे,
वो हमारे "दिले - नूर" हुए !
काफ़िर का तगमा,
लिए फ़िरते थे ज़माने में,
अब आशिक़ी के लिए ही सही,
"शकुन" मशहूर हुए !