शब्द शब्द में सोचा तुम को
शब्द शब्द में सोचा तुम को


शब्द -शब्द में सोचा तुम को
फिर अक्षर अक्षर याद किया।
प्रिय तुम्हारी खामोशी का
ऐसे मैने एहसास किया।
तुम पर जब भी गीत लिखा
उस को लिखकर चूम लिया।
प्रिय तुम्हारी यादों को फिर
अंतस मन से याद किया।
जहाँ मिले थे हम तुम पहले
उस पल को फिर आबाद किया।
ज्यूँ पवन ने फूलों से प्रेम का इजहार किया
अपने रूप में तुम को ऐसे मैंने ढाल लिया।
शब्द शब्द में सोचा तुम को
अक्षर अक्षर याद किया।
फिर अपनी बेचैनी का
ऐसे कुछ इजहार किया।
तुम पर ही एक गीत लिखा
और तुम को ही स्वीकार किया।
यूं अपने जीवन में मैंने
प्रेम का इस्तकबाल किया।