Asjad Fahmi

Romance

4.1  

Asjad Fahmi

Romance

हम बदलने लगे है।

हम बदलने लगे है।

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वक़्त के साथ गुज़रने लगे हैं,

जो लगाए थे रंग वो उतरने लगे हैं।


मोहब्बत की हालत भी

कुछ सियासत सी हो गई हैं,

चंद सालों में महबूब बदलने लगेे हैं।


देख कर मौसमों के हालात ये,

परिंदे भी दरख्तों से उतरने लगे हैं।


गैरों से कभी वास्ता रखा न था,

अपनो से भी अब बिछड़ने लगे हैं।


जो ज़ुबाँ खामोश थी कल तक,

वो बेज़ुबान भी कुछ कहने लगे हैं।


ये गुज़रता वक़्त हैं या बदलती तस्वीर,

हम ऐसे तो न थे फिर क्यो बदलने लगे हैं।


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