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ये गुज़रता वक़्त हैं या बदलती तस्वीर, हम ऐसे तो न थे फिर क्यो बदलने लगे हैं। ये गुज़रता वक़्त हैं या बदलती तस्वीर, हम ऐसे तो न थे फिर क्यो बदलने लगे हैं।
गुज़री जो वो अपनी गली से एक धीमा सा शोर हो रहा था कोई ग़लती नहीं थी उसकी फिर क्यूँ हर कोई... गुज़री जो वो अपनी गली से एक धीमा सा शोर हो रहा था कोई ग़लती नहीं थी उसकी ...