हर पल साथ निभाऊँगा
हर पल साथ निभाऊँगा


जहाँ-जहाँ पर तुम जाओगे,
वहाँ-वहाँ मैं आऊँगा।
प्रिये तुम्हारा साथी बनकर,
हर पल साथ निभाऊँगा।
प्रश्न अगर हो, तो मैं उत्तर
उत्तर हो तो मैं प्रत्युत्तर
फिर प्रत्युत्तर का प्रत्युत्तर
प्रश्न कई तुम, उतने उत्तर
झड़ी बनो चाहे प्रश्नों की,
उत्तर बनता जाऊँगा।
प्रिये तुम्हारा साथी बनकर,
हर पल साथ निभाऊँगा।।
फूल अगर तुम, मैं भौरा हूँ
पास हमेशा ही ठहरा हूँ
तुम खिल-खिलकर के
मुस्काना
तुम्हें सुनाऊँगा मैं गाना
तुम जितने भी बार खिलोगे,
पास सदा मँडराऊँगा।
प्रिये तुम्हारा साथी बनकर,
हर पल साथ निभाऊँगा।।
तुम मदिरा तो, मैं हूँ प्याला
मुझसे ही पीते सब हाला
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तुम जब मुझ में हो भर जाते
देख शराबी तब मुस्काते
व्यसनी के हाथों में पड़ कर,
साथ तुम्हें ही पाऊँगा।
प्रिये तुम्हारा साथी बनकर,
हर पल साथ निभाऊँगा।।
तुम आँखें, मैं आँसू-धारा
साथ हमारा कितना प्यारा
सुख में भी हूँ साथ तुम्हारे
दुख में भी हूँ साथ तुम्हारे
चाहे सुख हो, चाहे दुख हो,
संबल मैं पहुँचाऊंगा।
प्रिये तुम्हारा साथी बनकर,
हर पल साथ निभाऊँगा।।
तुम सरिता, मैं बना किनारा
बना तुम्हारा मैं ही कारा
तुम चंचल, मैं स्थिर रहकर
अपने को मैं तुझ में खोकर
जब तक है अस्तित्व तुम्हारा,
तब तक मैं रह पाऊँगा।
प्रिये तुम्हारा साथी बनकर,
हर पल साथ निभाऊँगा।।