"कठपुतली की जुबानी "
"कठपुतली की जुबानी "
कभी तू जख्म को
भरने के काम करती थी
और कभी दर्द को बांटने में !
पर आज
हम इतने आगे
बढ़ चुके हैं की
दर्द भी अब और दर्द नहीं लगते
अपने भी अब और अपने नहीं लगते
सपने भी सब झूठे लगते हैं !
ये कैसी हैं तमाशा उनके,
तुझको भी तो वे छोड़े नहीं
कठपुतली तो वो खुद बने
औऱ किसीको भी बख्से नहीं !
