जब खुद से हो जाये प्यार
जब खुद से हो जाये प्यार
जब जब मुझे
उनकी जरूरत है पड़ी,
तब तब वो साया बन के
मेरी कदम से कदम ही मिलाए।
जब जब मैने
ठोकर के ऊपर ठोकर है खाई
तब तब वो कभी गुरु के रूप में
तो कभी दोस्त के तरह हौसला मेरी बढ़ाये।
कुछ कहते थे
पागलपन के तुम ये राह न पकड़ो
लंबी ये सफ़र हैं,
आंधी और तूफ़ान भी कई आने है ,
जरा सोच समझ के कदम तुम उठाना
कहीं गुम ना हो जाये तुम्हारी ठिकाना।
उनको अब हम कैसे ये समझाएं !
इश्क़ होता तो हम बेबफा भी हो जाते
पर जो आदत बन चुके हैं
उनसे पीछा हम क्यों छुड़ायें !!!

