मां का दर्द
मां का दर्द
दुनिया में जिसके आने की
पल पल आस लगाई थी
वो नन्ही जान गई छोड़ मुझे
जिस दुनिया से वो आई थी
जिस दिन गोद हरी होनी थी
उस दिन ही कोख उजड़ गई
वो मां ही जाने दर्द इसका
जिसकी गोद थी सूनी हो गई
क्यू आने की आस जगाकर
उसको भी तू तोड़ गया
जीते जी मरने की खातिर
अपनी मां को छोड़ गया
कोसती रही वो मां खुद को ही
खता मुझसे क्या भगवान हुई
ओलाद को मां से छीन लिया
वो बड़ी सजा की हकदार हुई
सींचा था खून से जिसको
जिसके लिए हर दर्द सहा
चूर चूर हुए सारे सपने
बच्चा वो दुनिया छोड़ चला!
