धरती मां भी नाज करे🇮🇳
धरती मां भी नाज करे🇮🇳
गुलामी का लिबास ओढ़कर,
ख्वाब अपने दफनाते थे।
सहकर मार अग्रेजों की,
खाने को दाना पाते थे।।
अंग्रेजों की बढ़ी हुकूमत,
जाने कितने बलि चढ़ गए।
गवा कर अपनी जान कितने ही,
रोते बिलखते घर को छोड़ गए।।
दूर खदेड़ कर अंग्रेजो को ,
आजादी का आगाज किया।
बनाकर देश का एक कानून,
भारत मूल का निर्माण किया।।
सत्य अहिंसा और प्रेम का,
पाठ वो हमें पढ़ाते थे।
अपने वतन की हिफाजत को,
डटकर लड़ना सिखाते थे।।
भूल गया है देश उन्हें अब,
जिसने आजादी दिलाई थी।
देकर अपनी जान की कुर्बानी,
लाै स्वतंत्रता की जगाई थी।।
नमन करके उन वीरों को,
हम भारत का नव निर्माण क
रे।
सही मायने में अपने वतन को,
मिलकर हम आजाद करे।।
खुली सोच और बड़े विचार,
जन जन को मिले सम्मान।
ऊंच नीच का फ़र्क मिटे,
भारत बने जग में महान।।
देने सपनों को नई उड़ान,
अपनों का सबको साथ मिले।
कैद रहे ना पंछी सा कोई,
खुला बड़ा आसमान मिले।।
रेप का डर ना रहे किसी को,
औरत को सम्मान मिले।
खुलकर रखे अपनी सोच को,
सबको यह अधिकार मिले।।
जात पात के नाम पर,
कहीं कोई भेदभाव ना हो।
गरीबों का शोषण कर,
कोई मालामाल ना हो।।
आओ मिलकर बनाए भारत,
सच में जो आजाद रहे।
देखकर इस खिलते चमन को,
धरती मां भी नाज़ करे....
धरती मां भी नाज़ करे।।