मालिनी एक संघर्ष गाथा
मालिनी एक संघर्ष गाथा
एक औरत जो प्रताड़ित की गई अपने पति द्वारा
एक औरत जिसका बलात्कार हुआ पति के दोस्तो द्वारा
एक औरत जिसका घर टूटा उसकी सहेली द्वारा
एक औरत जिसे जलील किया गया समाज द्वारा
एक औरत जिसे बदनाम किया गया मीडिया द्वारा
एक औरत जिसके बच्चे को छिनने की कोशिश की गई
एक औरत जिसके बच्चे को मारने की साजिश रची गई
एक औरत जिसे डराने के लिए सैकड़ों चालें चली गई
लेकिन
उसका हाथ थामा एक नेक दिल महिला ने
उम्मीदों का दामन नहीं था कभी छोड़ने दिया
स्वयं से स्वयं का था उसे परिचय दिया
न कभी गिरने दिया, ना कभी झुकने दिया
कदम कदम पर बहनों जैसे साथ दिया
आत्मनिर्भर बना स्वाभिमान का ज्ञान दिया
मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था
दूसरों को जीना सिखाने वाली के पास वक्त कम था
सांसों की लड़ियां टूट गई, मिसाल दुनिया में छोड़ गई
हिम्मत, हौसले, बलिदान से,
मेहनत, त्याग और आत्मविश्वास से
अपने बेटे में क्रोध की ज्वाला जगा गई
मरकर भी वह जग में बदलाव की लौ जला गई
महिला के उत्थान के नव दीप जहां में जला गई।
(मालिनी : एक संघर्ष गाथा कहानी अब पब्लिश हो चुकी है, यह कविता उस कहानी का सार मात्र है। जो भी कहानी में रुचिकर या इच्छुक हो वह अमेजन, फ्लिपकार्ट या नोशन प्रेस से जाकर बुक खरीद सकता है।