मेरा सपना मेरा अपना
मेरा सपना मेरा अपना
मेरा सपना ही तो बस मेरा अपना था।
मेरी ही तरह वो इस बार भी टूटा गया।।
सालों पहले कहीं एक सपना,
मेरी भी पलकों पे ठहरा था।
विश्वास और उम्मीद की डोर ने,
दो बरस तक जिसको जकड़ा था।।
हकीकत बनने की बारी आई,
तो अपनों का साथ छूट गया।
बोया था ख्वाब जो दिल में,
वो सपना असल में टूट गया।।
मेरा सपना ही तो बस मेरा अपना था।
मेरी ही तरह वो इस बार भी टूट गया।।
टूटा था दिल में कुछ मगर,
हिम्मत ने हार ना मानी थी।
सपने को सच करना है इक दिन,
दिल ने बस यही बात ठानी थी।।
सपना था कुछ कर गुजरने का,
अपनी एक पहचान बनाने का।
अपनों को खुद अपने पे ही,
मुझे नाज महसूस कराना था।।
हर मुमकिन कोशिश की,
मगर सपना था सो टूट गया।
फड़फड़ाती हिम्मत का भी,
जलता दिया आखिर बुझ गया।।
मेरा सपना ही तो बस मेरा अपना था।
मेरी ही तरह वो इस बार भी टूट गया।।
टूटे सपने की टीस सीने में,
रह रहकर हर पल उठती रही।
न जाने इस दर्द में डूबकर,
कितनी रातों में मैं जलती रही।।
नहीं था मंजूर मुझे अब और,
घुट घुटकर यूं रो रोकर जीना।
दो पल की ही तो है जिंदगानी,
अब है हर पल हंसकर जीना।।
सपने टूटे तो क्या हुआ,
शौक पूरे करने तो बाकि है।
जीती थी अब तक दूसरों के लिए,
अभी अपनी खुशी तो बाकि है।।
किस्मत के थे खेल निराले,
जो अब तक समझ ना पाई थी।
पहले तो था सिर्फ सपना टूटा,
शौक भी कहां पूरे कर पाई थी।।
सपने टूटे, अपने छूटे,
हौसला भी दिल से छूट गया।
शौक ही तो थे जिंदगी के लिए,
एक एक कर हर शौक था छूट गया।।
मेरा सपना ही तो बस मेरा अपना था।
मेरी ही तरह वो इस बार भी टूट गया।।
नहीं है जो किस्मत में मेरी,
पीछे उसके भागना छोड़ दिया।
मुश्किल है अपनो से लड़ना,
अब लड़ना भी मैंने छोड़ दिया।।
एक राह है बंद हुई जीवन में,
तो अब राह नई मैंने बनाई है।
लेकर कागज कलम हाथों में,
एक लेखिका की पहचान बनाई है।।
नव्या नहीं है कोई हकीकत,
महज मेरी एक कल्पना है।
जीवन को फिर नए सिरे से,
शुरू करने की एक योजना है।।
मेरा सपना ही तो बस मेरा अपना था,
मेरी ही तरह वो इस बार भी टूट गया।
मगर जाते जाते वो टूटा सपना भी,
मुझे नव्या के रूप में पहचान दे गया।।