STORYMIRROR

Anju Metkar

Tragedy

4  

Anju Metkar

Tragedy

खंडहर

खंडहर

1 min
204

एक पुराने खंडहर की भाँती

तेरी यादें हैं सताती

मेरे मन आँगन जो गूँजती

भूले बिसरे गीत संजोती ।।१।।


पुराने हो चुके इन अफसानों से

खून टपकता हैं खयालों का

जख्म गहरे हैं वादों के

सिसकियों से नाता साँसों का।।२।।


हर कदम हर आहट पर

रुक सी जाती हूँ 

माज़ी की खलीश पर

और अतीत की चुभन पर।।३।।


उम्मीदों के नींव तो

अब टूटने लगे हैं

कितने भी बाँधो बुनियादों के पुल

घावों की ईंट तो अब दरकने वाली हैं।।४।।


ये खंडहर ही तेरी स्मृतियोंं का गुलिस्तां

मेरी यादों में तू वाबस्ता

मेरा हैं रब से राब्ता

तुझे हमारी मुहब्बत का वास्ता



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy