खंडहर
खंडहर
एक पुराने खंडहर की भाँती
तेरी यादें हैं सताती
मेरे मन आँगन जो गूँजती
भूले बिसरे गीत संजोती ।।१।।
पुराने हो चुके इन अफसानों से
खून टपकता हैं खयालों का
जख्म गहरे हैं वादों के
सिसकियों से नाता साँसों का।।२।।
हर कदम हर आहट पर
रुक सी जाती हूँ
माज़ी की खलीश पर
और अतीत की चुभन पर।।३।।
उम्मीदों के नींव तो
अब टूटने लगे हैं
कितने भी बाँधो बुनियादों के पुल
घावों की ईंट तो अब दरकने वाली हैं।।४।।
ये खंडहर ही तेरी स्मृतियोंं का गुलिस्तां
मेरी यादों में तू वाबस्ता
मेरा हैं रब से राब्ता
तुझे हमारी मुहब्बत का वास्ता
