अन्जाना कोई आया है
अन्जाना कोई आया है


जीवन के सूने आँगन में, अन्जाना कोई आया है।
महक उठी तन की फुलवारी, मन यह कैसा मुस्काया है।
धड़कन में सांवरिया बसते, हाँ मैने स्वीकार किया था।
बहुत मनाया पागल दिल को, पर दिल ने प्रतिकार किया था।
मीत मिले सपनों से सुंदर, खुद पर ही मन इतराया है।
महक उठी तन की फुलवारी, मन यह कैसा मुस्काया है ।
गूंज उठे स्वर शहनाई के, डोली लेकर साजन आये।
सखियां करती हसीं-ठिठौली, सजना तेरे तुझे बुलाये।
पूरी हर अभिलाषा होगी, सजन सजीला मन भाया है।
महक उठी तन की फुलवारी, मन यह कैसा मुस्काया है।
दशों दिशा से मिले बधाई, शुभ- विवाह की बेला आयी।
कर सोलह शृंगार सखी मैं, सज धज कर पी के घर आयी।
अधरों पर मुस्कान अनोखी, रंग प्रीत का गहराया है।
महक उठी तन की फुलवारी, मन यह कैसा मुस्काया है।