काले करते काम
काले करते काम
दया धर्म का आश्रय लेकर ,काले करते काम।
छुरा पीठ में घोंप भजें वो ,मुख से सीता राम।
अमन चैन की तज कर माला ,करें धर्म का मोल।
शीश गठरिया पाप की चलें ,राधे राधे बोल।
मात-पिता को भुला करें वो ,जग में ऊँचा नाम।
छुरा पीठ में घोंप भजें वो ,मुख से सीता राम।
आज धर्म के मर्म को कहो ,समझ रहा है कौन।
काँव काँव का शोर चहुँ दिशि ,कोयल बैठी मौन।
जोगी अपना जोग छोड़कर ,हाथ लिए हैं जाम।
छुरा पीठ में घोंप भजें वो ,मुख से सीता राम।
धर्म यहाँ व्यवसाय बना है ,अरु विद्या बन्दूक।
आड़ करें नेता मजहब की ,धान्य भरे सन्दूक।
पहने चोला साधु-संत का ,करके कत्ले आम।
छुरा पीठ में घोंप भजें वो ,मुख से सीता राम।
अबलाओं की अस्मत छीनी ,घुंघरू बाँधे पाँव।
किया कलंकित पुरुष जाति को ,नारी को बदनाम।
जब रावण की राह चलेंगे ,क्या होंगे सदकाम।
छुरा पीठ में घोंप भजें वो ,मुख से सीता राम।
