पैसा है पहचान
पैसा है पहचान
पैसे से है यह जग सारा ,पैसे से भगवान ।
इस पैसे की खातिर मानुष ,बेच रहा ईमान ।।
पैसे का नित खेल न्यारा ,पैसा करे कमाल ।
देख कड़क नोटों की लाली ,गाल हुए है लाल ।
लोभ बढ़ गया है दुनियां में ,माया हुई महान ।।
इस पैसे की खातिर मानुष ,बेच रहा ईमान ।।
शारद माँ की हुई अवज्ञा ,लक्ष्मी का सम्मान ।
शिक्षा ,दीक्षा सब पैसे से ,कौड़ी बिकता ज्ञान ।
संस्कार सब मौन हुए हैं ,जुर्म तले नादान ।।
इस पैसे की खातिर मानुष ,बेच रहा ईमान ।।
रिश्वत खोरी ,सीना जोरी ,के सम्बन्ध्र प्रगाढ़ ।
खून बना है पानी सबका ,पैसे की कर आड़ ।
उन्नत कैसे हों समाज जब ,सब ही बे ईमान ।।
इस पैसे की खातिर मानुष ,बेच रहा ईमान ।।
बन अमीर फिर शान से करते ,निर्धन पर अन्याय।
किससे करे गुहार बेचारा , पट्टी बाँधे न्याय ।
हाय!बिना पैसे के आयी है ,मुश्किल में जान ।।
इस पैसे की खातिर मानुष ,बेच रहा ईमान ।।
रिश्तों का आधार है पैसा ,पैसा ही संसार ।
सबसे मीठी और सुरीली ,पैसे की झंकार ।
अच्छे और बुरे लोगों की ,पैसा है पहचान ।।
इस पैसे की खातिर मानुष ,बेच रहा ईमान ।।