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Arunima Bahadur

Tragedy Inspirational

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Arunima Bahadur

Tragedy Inspirational

प्रेम

प्रेम

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बनाया था प्रियतम ने,

एक प्यारा सा शब्द 'प्रेम'

न जाने कब आधुनिकता की दौड़ में,

बदल गया प्रेम का अर्थ,

जो दैविक था,

कैसे रह गया ,

केवल "दैहिक",

छलनी जो गया,

मेरा यह शब्द'प्रेम'

तथाकथित 

देह पर देह के वारो से,

रोता रहा,

बिलखता रहा,

अपने अस्तित्व को,

पर न मिला वो,

मीरा सा प्रेम,

न मिला,

कृष्ण सुदामा सा प्रेम,

शायद,

छूट गया है,

वह निःस्वार्थ प्रेम,

कही पीछे,

बहुत पीछे,

अंतस की गहराइयों में,

जो नही कहता,

आई लव यू,

नही कहता,

आई मिस यु,

बस,

देता केवल प्रेम,

करुणा,ममता,

देह से परे,

नर नारी के ,

बंधन से परे,

बांध लेता है,

हर जीव को,

प्रेम के अतुल्य बंधन में,

देख कर कण कण में,

ईश्वर का रूप,

आत्मवत सर्वभूतेषु कर साकार,

हाँ,

वही तो है वो प्रेम,

जो पुकारता है,

आज भी मानव को,

जान ले खुद को,

तू है,

केवल प्रेम ही प्रेम।।


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