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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Tragedy

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Tragedy

“ मूक बधिर ना बनकर रहना ”

“ मूक बधिर ना बनकर रहना ”

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आखिर कब तक नेपथ्य में

छुपकर रहोगे

मौनता के जालों में फँसकर

मूक बने रहोगे


आवाज बुलंद करनी पड़ेगी

समानता के लिए

प्रभातफेरी हमें करनी पड़ेगी 

जगाने के लिए


फिर कभी निर्भया और अंकिता

को तड़पना ना पड़े

घृणित अंजाम में पड़कर उसे

दम तोड़ना ना पड़े


स्वतंत्र पत्रकार को अपमान

से ना रहना पड़े

शासनतंत्र की पड़ताड़ना को

ना कभी सहना पड़े


धर्म के आड़ में असहिष्णुता

ना लड़खड़ा जाए

बड़े धर्मों वालों का अत्याचार

ना कभी पनप पाए


जगहों के नाम बदल कर भला

क्या होने वाला है

इतिहास के पन्नों को मिटाने से

क्या होने वाला है


युगपुरुष पुरुषार्थ के बल पर ही

नया इतिहास लिखते हैं

लोगों के सपनों को साकार करके

अपना नाम करते हैं


मंहगायी को वश में जो शासक

नहीं कर पाए

वो स्वप्न में भी लोगों के दिल

में रह नहीं पाए


हमें हर पहलुओं पर अपनी बातें

जम के रखनी होगी

प्रजातन्त्र में सरकार प्रजा की है

उनकी ही सुननी होगी।



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