नफरत की आंधी
नफरत की आंधी
जब जब नफरत की आंधी आई।
तब तब अपनों से छिड़ी लड़ाई।
अगर महाभारत में ये, नफरत की आंधी नहीं आती।
कौरव की सेना से ये, रणभूमि पाटी नहीं जाती।।
अंधकार की काली छाया, कौरव के कुल में छाई।
जब जब---------
राजा जयचंद के मन में जो, नफरत की आंधी न होती।
तो मेरी ये मातृभूमि, न खून के यूँ आँसू रोती।।
मुगलों के हाथों में आखिर,ना जाती धरती माई।
जब जब-------
जो न देशद्रोही नफरत की, आंधी में झुलसे होते।
वो अपने हाथों से ना, अपनी आजादी को खोते।।
"ज्ञानू गोपाल"के लिए वही, नफरत की आंधी फिर आई।
जब जब--------