STORYMIRROR

Gyanesh Singh Gyanu Gopal

Abstract Tragedy Inspirational

4  

Gyanesh Singh Gyanu Gopal

Abstract Tragedy Inspirational

राधा कृष्ण

राधा कृष्ण

1 min
255

कृष्णा तुम मेरी अमानत हो।

मन भी पुकारे,तन भी पुकारे,तुम मेरी चाहत हो।

कृष्णा

          १

मैंने जीवन साथी तुमको,माना अपना।

हो ना जाये ये कहीं, झूठा सपना।।

मैंने माना तुम्हें,अपना जाना तुम्हें।

दिल दे डाला तुम्हें, सब कुछ माना तुम्हें।।

जीना है मुश्किल, तेरे बिना तुम, मेरी इबादत हो।

कृष्णा

         २

 वंशी जो तू बजाये मैं, दौड़ी आयी।

यमुना के तट पर देखो मैं, भागी आयी।।

बढ़ी दिल में जलन,ऐसी लागी लगन।

ढूँढूँ धरती गगन, प्रेम की है अगन।।

दुनिया में अब,कोई करे ना, तेरी शिकायत हो।

कृष्णा

          ३

मैंने तेरे प्रेम को, हर पल पूजा।

तेरे शिवा"ज्ञानू गोपाल",कोई न दूजा।।

प्रेम अर्चन किया, प्रेम वन्दन किया।

प्रेम पूजन किया, अभिनंदन किया।।

राधा ने कान्हा, से कहा तुम, मेरी जमानत हो।

कृष्णा.....।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract