द्रौपदी पुकार
द्रौपदी पुकार
धुन
हम भूल गए हर बात मगर तेरा प्यार नहीं भूले।
गीत
मैं भूल गयी हर बात, कि मैं वो बात नहीं भूली।
हुआ सभा में जो मेरे साथ, कि मैं वो...
१
जब भरी सभा में केश पकड़, मुझे खींच दुशासन लाया था।
मुझे वेश्या कहकर सूतपुत्र, ने मेरी हँसी उड़ाया था।।
वो जुल्म भरे जज्बात, कि मैं वो...
२
जब खुद जुएँ में हार गए, फिर मुझपर है अधिकार कहाँ?
पत्नी की लाज न बचा सके, फिर ऐसे हैं भरतार कहाँ?
रखें बैठे हाथ पर हाथ, कि मैं वो...
३
खाती हूँ आज कसम मैं ये, तब तक ना केश सजाऊँगी।
जब तक इस दुष्ट दुशासन की, छाती का लहू न पाऊँगी।।
"ज्ञानू गोपाल"की खुराफात, कि मैं वो...