Gyanesh Singh Gyanu Gopal

Tragedy

3  

Gyanesh Singh Gyanu Gopal

Tragedy

द्रौपदी पुकार

द्रौपदी पुकार

1 min
280


धुन

हम भूल गए हर बात मगर तेरा प्यार नहीं भूले।

        गीत

मैं भूल गयी हर बात, कि मैं वो बात नहीं भूली।

हुआ सभा में जो मेरे साथ, कि मैं वो...

           १

जब भरी सभा में केश पकड़, मुझे खींच दुशासन लाया था।

मुझे वेश्या कहकर सूतपुत्र, ने मेरी हँसी उड़ाया था।।

वो जुल्म भरे जज्बात, कि मैं वो...

        २

जब खुद जुएँ में हार गए, फिर मुझपर है अधिकार कहाँ?

पत्नी की लाज न बचा सके, फिर ऐसे हैं भरतार कहाँ?

रखें बैठे हाथ पर हाथ, कि मैं वो...

          ३

खाती हूँ आज कसम मैं ये, तब तक ना केश सजाऊँगी।

जब तक इस दुष्ट दुशासन की, छाती का लहू न पाऊँगी।।

"ज्ञानू गोपाल"की खुराफात, कि मैं वो...



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy