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Gyanesh Singh Gyanu Gopal

Classics

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Gyanesh Singh Gyanu Gopal

Classics

रावण मंदोदरी को बता रहा है

रावण मंदोदरी को बता रहा है

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इतना तो ज्ञात है तुम्हें, कि मुझसे वो वीर नहीं।

जो मुझे मार सके,तरकश में वो तीर नहीं।

इतना तो००००००००००००००

         १

मेरे बेटे ने, है इन्द्र को जीता, और इंद्रजीत कहलाया।

मैं तो मरूँगा, सिर्फ मानव के हाथों,ऐसा मानव अभी जग में न आया।

जो मेरा मेरा काटे गला, ऐसी कोई शमशीर नहीं।

इतना तो०००००००००००००००

         २

क्यों करती चिंता, मेरी पत्नी सुपुनीता, उन वनवासियों से क्या डरना।

होकर परेशान, मेरी न कर तू कम शान,मार उनको भूमि शमशान है करना।

करके खयाल मेरा, नैनों से फेंक नीर नहीं।

इतना तो००००००००००००००

        ३

उनको आने दो,उन्हें मुँह की खाने दो,उन्हें अपना रण कौशल दिखाऊंगा।

उन वनवासियों को,रण में मैं एक नया, पाठ सिखाऊंगा।

"ज्ञानू गोपाल"से लड़े,ऐसा कोई बलवीर नहीं।

इतना तो००००००००००००००



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