रावण मंदोदरी को बता रहा है
रावण मंदोदरी को बता रहा है
इतना तो ज्ञात है तुम्हें, कि मुझसे वो वीर नहीं।
जो मुझे मार सके,तरकश में वो तीर नहीं।
इतना तो००००००००००००००
१
मेरे बेटे ने, है इन्द्र को जीता, और इंद्रजीत कहलाया।
मैं तो मरूँगा, सिर्फ मानव के हाथों,ऐसा मानव अभी जग में न आया।
जो मेरा मेरा काटे गला, ऐसी कोई शमशीर नहीं।
इतना तो०००००००००००००००
२
क्यों करती चिंता, मेरी पत्नी सुपुनीता, उन वनवासियों से क्या डरना।
होकर परेशान, मेरी न कर तू कम शान,मार उनको भूमि शमशान है करना।
करके खयाल मेरा, नैनों से फेंक नीर नहीं।
इतना तो००००००००००००००
३
उनको आने दो,उन्हें मुँह की खाने दो,उन्हें अपना रण कौशल दिखाऊंगा।
उन वनवासियों को,रण में मैं एक नया, पाठ सिखाऊंगा।
"ज्ञानू गोपाल"से लड़े,ऐसा कोई बलवीर नहीं।
इतना तो००००००००००००००