दर्खास्त
दर्खास्त
तुम प्यार लिखते हो
क्योंकि तुम्हें वो मिला
मैं गम लिखती हूं
क्योंकि मुझे ये मिला
तुमको इज्जत मिली
मुझको नफरत मिली
वाह री दुनिया,,,कहती है
हम बदल रहे हैं
हम समान हो रहे हैं..
तुम्हें राज तिलक मिला
मुझे सरेआम जलाया गया
वाह री दुनिया,,, कहती है
हम बदल रहे हैं
हम समान हो रहे हैं...
मेरी दर्खास्त है उन लाचार
दबी सहमी प्रताड़ित चीखों से
न उठाओ कोई शस्त्र तुम
न भरो कोई हूंकार तुम
खुरची रूहों को कुछ सुकूं मिले,,,,,
बना लो बाझंपन को गहना तुम!