प्रकृति
प्रकृति
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इन वादियों की खुशबू
तुम्हें बुलाती है
ये दरख्त, पानी की कल-कल
तुम्हें बुलाती है
जब भी बैठती हूँ अकेले
वो यादें, हर लम्हें मुझे घेर जाती है
कुदरत की खूबसूरती
तेरे बिना फीकी पड़ जाती है
सीमा के प्रहरी बन कर
तुमने हर कर्तव्य निभाया है
सलाम तेरे जज्बे को
सर मैंने अपना झुकाया है
इन वादियों की सुन्दरता
बनाये रखना ही जिन्दगी है
धरती के इस स्वर्ग को
बचाये रखना ही बन्दगी है
