धुएं ने सब कुछ उड़ा डाला
धुएं ने सब कुछ उड़ा डाला


इस धुएं ने सब कुछ उड़ा डाला
कर दिया कितनों का मुंह काला
खुशी पाने की थी चाह
पर जिंदगी अपनी खत्म कर ली
आसमान की ऊंचाइयों को छूना था
पर छह गज जमीन अपनी करली
ना माॅं का सोचा ना पिता की याद आई
बहन- भाई से भी हो गई जुदाई
आगे बढ़ने से पहले पीछे ना देखा
ना सोची किसी की भलाई
कितना रोका प्रियतमा ने
पर तुमने नशे की आदत डाली
अपनी जिद की वजह से
मिटा दी उसके माथे की लाली
पता नहीं लोगों को क्यों
अब भी समझ में नहीं आता
इतना नशा करने से
क्या है उनको मिल जाता
सिर्फ खुद को मौत और
अपनों को बदनामी ही मिलती है
न जाने कितने जन्मों के बाद
मानव को जिंदगी मिलती है !